Possessive Am I Possessive ?
आंखें खोलें तो दीदार तुम्हारा होना चाहिए,
अगर करे बंद तो स्वप्न तुम्हारा होना चाहिए,
हमें मरने के लिए हर लम्हा मंज़ूर है,
बस कफ़न के बदले आँचल तुम्हारा होना चाहिए।
तुझे आँखों के सामने रखने की कोशिश करता रहता हूँ,
कोई कर न ले साज़िश तुझे चुराने की इस बात से डरता रहता हूँ,
तुझे आँखों के सामने रखने की कोशिश करता ही रहता हूँ,
खुश तो बहुत हूँ फिर भी डरता रहता हूँ,
तेरा दिल बदल न जाये इस डर से तेरी आँखों को पढ़ता रहता हूँ,
रचने वाले ने क्या रचा है तुझे,
हर गली, हर मुहल्ले, हर जुबान पर हैं चर्चे तेरे,
हर जगह बट रहे प्यार के पर्चे मेरे,
पर….
ये पर्चे मेरी मुहब्बत मुझसे छीन न ले, इस बात से डरता रहता हूँ,
तुझे आँखों के सामने रखने की कोशिश करता ही रहता हूँ,
करता ही रहता हूँ……
सुनता हूँ, कई शाहजहां तेरी चाहत में बनवा रहे हैं महले कई,
इन ज़ालिमों ने भी कर दिया मुझे कवि,
हर जगह बस दिख रही बस तेरी छवि,
बस इतना ही कहूँगा……..
"तेरी खूबसूरती का दीवाना हर कोई,
तेरी नज़रों का दीवाना हर कोई,
जब कभी पूछो ज़माने से कुदरत की खूबसूरती क्या है,
तब सिर्फ तेरा नाम बताता हर कोई"
तेरा जब कोई मुझसे पता पूछे तो उसको मैं भटकाता रहता हूँ
तुझे आँखों के सामने रखने की कोशिश करता ही रहता हूँ,
करता ही रहता हूँ,
करता ही रहता हूँ……………
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे देखा
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे सोचा
रातें ये दिन
सिर्फ उसकी यादों में
खोए रहते हैं
पर इक खामोशी की चादर में
छुपकर सोए रहते हैं
न दिखाते हैं चेहरा अपना
आंसू भी इनकीआँखों में ख्वाब पिरोए रहते हैं
आज उसकी यादें कुछ कहना चाहती हैं
मरे इन सपनों को अपना बनाना चाहती हैं
हो सकता है देख रहा होऊंगा सपना
पर एक वही है जो लगती है अपना
प्यार तो बहुत है उससे
पर ज़िकर करना नहीं आता
याद तो बहुत आती है वो
पर दिखाना नहीं चाहता
आज उसकी आंखें दिल में बसना चाहती हैं
उसकी ये बातें मुझसे कुछ कहना चाहती हैं
हाँ, उनकी बातें बुरी लगती हैं मुझे
पर प्यार वो ताकत है
जिससे जुदा होके जिया नहीं जाता शायद
जिया नहीं जाता
दिल से आवाज़ आयी है
जो कहा नहीं जाता वो सब बोलता है दिल
शायद आँखों से पता लग जाये क्या कहता है दिल
यार अजीब बात है इतनी याद आयी है
कि सोचते सोचते मेरी आंख भर आयी है
ये मैं नहीं बोल रहा
ये तो दिल से आवाज़ आयी है
सुबह उठते ही आपको देखने को बोलता है
सोने से पहले आपको सुनने को बोलता है
अब इसको क्या पता कि मेरी जान को भी नींद नहीं आयी है
मैंने नहीं बोला ये तो मेरे दिल से आवाज़ आयी है
बार बार आपकी तस्वीर देखता है दिल
आपकी आँखों और हंसी में क्या ढूंढता है दिल
आपकी नज़रों में प्यार देखते देखते
मेरी आंख भी शरमाई है
मैं नहीं बोल रहा ये तो मेरे दिल से आवाज़ आयी है
बार बार ध्यान मेरा घड़ी की तरफ जाता है
ये वक़्त बेरहम है
इसे जितना ज़्यादा देखो उतना इंतज़ार करवाता है
ये इंतज़ार करने को तैयार है
पर एक बेचैनी सी छाई है
मैंने नहीं बोला, ये तो मरे दिल से आवाज़ आयी है
आपके चेहरे पे ख़ुशी देख के
ये ज़ोर से धड़कने लगता है
थोड़ी सी भी उदासी देख के
ये बहुत तड़पने लगता है
आपको हँसता हुआ देख के
इसने बहुत ख़ुशी मनाई है
मैंने थोड़ी कुछ बोला, ये तो मेरे दिल से आवाज़ आयी है
आपके पास आने की ज़िद करता है
तो इसे समझा देता हूँ
आपकी प्यारी प्यारी बातें इसको सुना देता हूँ
मैंने इसे हमारी कहानी सुनाई है
तो बदले में इसने मुझे आपकी इज़्ज़त करनी सिखाई है
ये मैं नहीं बोल रहा, ये तो मेरे दिल से आवाज़ आयी है
मुझे पूछने लगा, "उसपे इतना प्यार क्यों आता है?"
मैंने कहा, "अरे जितना कुछ उसने सहा मेरे लिए.. इतना कोई नहीं कर पाता है"
"बड़ा खुशकिस्मत हूँ कि मैंने आपके दिल में जगह बनाई है"
मैंने नहीं बोला जी, ये तो मेरे दिल से आवाज़ आयी है
आपको किसी और के पास कभी जाने नहीं देता
मिलना तो दूर ये तो आपको किसी दूसरे से बात तक करने नहीं देता
अगर किसी ने कोशिश भी की आपके पास आने की
तो उसको मारने की कसम खायी है
मैं नहीं बोल रहा, ये तो मेरे दिल से आवाज़ आयी है
मेरी ज़िन्दगी में कितने खास हो आप क्या ये जानते हो?
आपसे खुद से ज़्यादा प्यार करता हूँ ये तो मानते हो?
आपका प्यार और प्यारी सी आवाज़ मेरे ज़ख्मों की दवाई है
मैंने थोड़ी बोला, ये तो मेरे दिल से आवाज़ आयी है
चाँदनी रात है
एक प्यारी सी बात है
हाथों में चाय का प्याला है
आपके आगमन से जीवन में उजाला है
यही बैठे हुए
चाय की चुस्कियाँ लगाते हैं
जबभी आपका खयाल आता है
मन ही मन मुस्कुराते हैं ।
यूँ तारों का टिम-टिमाना
आपकी आखें याद दिलाता है
चाँद पर नज़र जाए तो
आपका चेहरा नज़र आता है
कुछ तो बात है
इस चाँद की चाँदनी में
आपकी झलक दिखाता है
मेरा दिल भी बहलाता है ।
काश ऐसा होता
ये दूरियाँ ही न होती
इस चाँदनी रात में
मेरे साथ आप होती
हाथों में आपका हाथ होता
जीवन में आपका साथ होता
एक साथ चलते इस जीवन की राह पर
जीना भी साथ होता और
मरना भी साथ होता ।
सूरत ना देखी मैंने उसकी,
मूरत फिर भी उसकी बनने लगी है,
दिन को चैन नहीं आता,
और रातों की नींद उड़ने लगी है,
लगता है उससे मोहब्बत होने लगी है,
उसकी यादों में, आँखों से नीर बहते है,
अब तो आँखों को आँसू से मोहब्बत होने लगी है,
कलम लिखना चाहती है, केवल तुम्हारे बारे में,
और बातें मेरी कविताओं में ढलने लगी है,
लगता है उससे मोहब्बत होने लगी है,
उसकी यादों में, रातें गुजार देता हूँ,
अपनी ही बातों में, खुद को सँवार देता हूँ,
सुनसान रातों में, मेरी बातें गहराई में उतरने लगी हैं,
अब तो मेरे दिल की तन्हाई मोहब्बत में बदलने लगी है,
लगता है उससे मोहब्बत होने लगी है,
सुबह सूरज की रोशनी भी अधूरी सी लगती है,
बाज़ार की भरी सड़के भी सुनी सी लगती है,
उसके आने की ये आँखें राह देखने लगी हैं,
अब तो माह भी सालों की राह देखने लगी है,
लगता है उससे मोहब्बत होने लगी है,
उसके चेहरे की चमक सादी लगती है,
चाँद पूरा निकलता है पर रोशनी आधी लगती है,
बारिश की बूँदें भी अब मुझे भिगोने लगी हैं,
अब तो दिल की धड़कन भी यादों को पिरोने लगी है,
लगता है उससे मोहब्बत होने लगी है,
अभी भी घर की चौखट पर, उसकी राह तके बैठा हूँ,
सुबह से शाम और शाम से सुबह, उसकी राह में गुज़ार देता हूँ,
कब आओगी ये मेरी तन्हाई कहने लगी है,
तन्हाई की बातें दिल को झूठी लगने लगी हैं,
लगता है उससे मोहब्बत होने लगी है
तुम्हें पता है कौन हो तुम
मेरे जिंदगी की अनछुई परछाई हो तुम
समझता मैं भी अजनबी था तुझे,
मिला मुझे खुद का पता जब न था,
मिली जब पनाह तेरे प्यार की,
छोड़ हक़ीक़त सपनों में खो गया,
मिला तेरा साथ तो अपनों का हो गया,
बिताये हर एक पल ग़मों से दूर रहा मैं,
रहता जिस गुरुर में था मैं,
उससे दूर रहा मैं,
मुझे नहीं पता क्या सीखा तुमने मुझसे,
मगर इस दिल ने सीखा बहुत तुझसे,
सपनों की हक़ीक़त,
हक़ीक़त का टूटना,
ज़िन्दगी की सच्चाई,
और दिल का रूठना,
अब इससे ज़्यादा क्या बताये ये दिल
प्यार और इबादत की तालीम हो तुम
आज जाना मेरी अधूरी जिंदगी में मीठा सवाब हो तुम,
इस दिल की नहीं तुम,
ऊपर वाले की प्यारी रचना हो तुम,
ये तारीफ नहीं जुबां की,
बस वाक्या है मेरे दिल का,
रहे मेरे पास शायद वजह यही है मेरे सिर झुकाने की,
रहे तू हमेशा मेरी ज़रूरत नहीं मुझे ये बताने की,
यूं निगाहों से नहीं चाहा कभी तुझे,
ये दिल तुझपे निसार था,
ज़िन्दगी पर किसी का हक ये गवारा मुझे न था,
पर पाबंदिया उसूलों से अच्छी होंगी,
ये वक़्त से ज़्यादा तूने बताया था,
रहे उस सोने की तरह जो ढल जाता सांचे में,
रहूँ मैं उस साँचे जैसा ढले जिसकी आस में,
क्योंकि माँ तो नहीं मगर ज़िन्दगी की अंतिम सांस है तू,
आज हक़ीक़त को जाना,
ज़िन्दगी के हर किनारे का साथ है तू,
ये शब्द नहीं जज़्बात हैं मेरे,
वरना दिल-ए फ़क़ीर क्या जाने,
मेरी मुस्कान का राज़ है तू।

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